
कोरबा के निवासियों के लिए आज की सुबह एक आश्चर्य भरी शुरुआत से रही वर्षों से जिस समस्या से दिन रात एक हो रहे थे वह एकाएक आज बंद हो गई, जी हां हम बात कर रहे हैं कोरबा के लिए नासूर बन चुके राख परिवहन का जिस को बंद कराने के लिए ना जाने कितने आंदोलन हो रहे थे और ना जाने कितने लोगों ने शासन प्रशासन से इस मांग के लिए पत्राचार किया है, कोरबा के लिए यह आश्चर्य हुआ आज केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम के कोरबा आगमन होने पर आपको बता दें कि जिले के पावर प्लांट से उत्सर्जित जहरीले राख का प्रकोप जांचने एनजीटी द्वारा गठित जांच टीम जिले में पहुंची है. एक जैसी दो अलग-अलग शिकायतों के लिए दो टीम जिले में मौजूद है, जो कि बीती रात को ही यहां पहुंच गई थी. जिन्होंने बुधवार की सुबह से कार्रवाई शुरू की. एनजीटी की टीम ने पहले तो कलेक्ट्रेट में अधिकारियों से विचार विमर्श किया. इसके बाद शिकायतकर्ता को बुलाकर उनसे शिकायत की पूरी बात विस्तार से सुनी.टीम देर शाम फील्ड में निरीक्षण करने निकली. खास बात यह रही कि जहां-जहां एनजीटी के टीम की वाहन गई. वहां खास स्प्रिंकलर वाहन का इंतजाम किया गया था. इसके अलावा राख डैम से हवा चलने पर राख ना उड़े. इसके लिए भी पानी का छिड़काव करते हुए राख के ऊपर मिट्टी बिछा दिया गया है. ऐसे इंतजाम सामान्य दिनों में देखने को नहीं मिलते हैं. मामले के शिकायतकर्ता ने कहा कि सभी लीपापोती में लगे हैं, लेकिन यह काम नहीं आएगी।कम गति में किया शहर का निरीक्षण : एनजीटी की टीम कलेक्ट्रेट से निकलकर ढेंगुरनाला तक गई.जो कि जिले का एक काफी पुराना प्राकृतिक नाला है. जहां से स्वच्छ पानी बहकर हसदेव नदी में मिल जाता है. यह नाला पिछले काफी समय से प्रदूषण के भीषण चपेट में भी है.शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत में कुल 16 स्थानों का जिक्र है.जिसमें से ढेंगुरनाला भी शामिल है.एनजीटी की टीम कलेक्ट्रेट से निकलकर आईटीआई चौक होते हुए ढेंगुरनाला नाला पर बने पुल के ऊपर से परसाभाठा तक पहुंची. टीम की गाड़ी पुल के ऊपर कुछ समय के लिए रुकी, इसके बाद 20 की स्पीड में धीरे-धीरे शहर का भ्रमण किया. हालांकि टीम ने निरीक्षण में क्या पाया? नियमों के उल्लंघन का जो जिक्र शिकायत में है. उस पर आगे किस तरह की कार्रवाई होगी, इस पर विस्तृत जानकारी नहीं मिल सकी है.












