Knn24.com/जिले में अलग अलग बैनर के साथ यात्री ट्रेनों को चलाने की मांग की जा रही है। जनप्रतिनिधियों ने भी इसके लिए रेलवे को पत्र लिखकर मांग कर चुके हैं। 3 फरवरी को माकपा ने इमलीछापर चौक पर आंदोलन कर रेलवे के खिलाफ नारेबाजी की थी। इस दौरान मौके पर पहुंचे रेलवे व जिला प्रशासन के अधिकारियों ने 15 दिन में यात्री ट्रेन चलाने का आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त करा दिए थे। तब आंदोलनकारियों ने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर उक्त अवधि में यात्री ट्रेन कुसमुंडा तक नहीं चली तो वे कभी भी मालगाड़ी रोकने बाध्य हो जाएंगे। वहीं रेल संघर्ष समिति ने 11 से 13 फरवरी तक रेलवे स्टेशन में प्रदर्शन करने वाली थी लेकिन माकपा के आंदोलन में मिले आश्वासन को देखते हुए अपना विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दी थी। इन दोनों संगठनों की उम्मीदों पर रेलवे कितना खरा उतरता है इसके लिए महज दो दिन ही शेष बचे हैं। अगर इन दो दिन में रेलवे प्रशासन की ओर के गेवरारोड से रायपुर के बीच कोई यात्री ट्रेन शुरू नहीं की जाती है तो इसका खामियाजा रेलवे को यहां के इन दोनों संगठनों के आंदोलन से भुगतना पड़ेगा। दोनों संगठन 18 फरवरी के बाद मालगाड़ी से होने वाले कोयला परिवहन को रोकने बाध्य होंगे। ये संगठन रेल प्रशासन द्वारा दिए गए आश्वासन को देखते हुए अभी शांत हैं। हालांकि रेलवे की ओर से घोषित 13 यात्री ट्रेनों में एक मेमू लोकल को गेवरारोड से रायपुर के बीच चलाने वाली बिलासपुर तक आने वाली छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को सुबह पैसेंजर बनाकर गेवरारोड तक लाने की है। लेकिन ये ट्रेन कब से चलेंगी इसकी अधिकृत घोषणा रेलवे की ओर से नहीं की जा रही है। जिसको लेकर यहां के लोगों में रेलवे के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। इस संबंध में माकपा के वीएम मनोहर व रेल संघर्ष समिति के रामकिशन अग्रवाल, प्रेम मदान ने बताया कि यात्री ट्रेन नहीं चलती है तो वे अब शांतिपूर्ण आंदोलन की जगह उग्र आंदोलन करते हुए कोल परिवहन बाधित करने बाध्य होंगे। इसके लिए रेलवे को कोई सूचना भी नहीं दी जाएगी।