knn24.com/ पाली स्थित उच्चतर माध्यमिक स्कूल की जहाँ के छात्रों ने अपने ही प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत की है। कि उनसे फीस लेने के बाद भी काम करवाया गया। यहाँ तक कि स्कूली बच्चों से ही।स्कूल के बाथरूम की सफाई सफाई कराई गई। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है। कि पाली स्थित उच्च्तर माध्यमिक शाला पाली। स्कूल का प्रिंसिपल बच्चों से साल भर का फीस लेने के बाद भी कई तरह का फीस की डिमांड करता रहा है। कभी माइग्रेशन के नाम पर तो कभी टी.सी. के नाम पर..? ऐसी बात नही है। कि इसकी शिकायत बच्चो ने नही कि बल्कि बच्चों की शिकायत को कोरे कागज की तरह कूड़े दान में डाल दिया गया।जब किसी का दबाव बनता देखा गया।तो जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच का जिम्मा उसी के समकक्ष अधिकारी को ही सौपा दिया।जो नियम के विपरीत है। भला एक प्रिंसिपल के कारनामो की जांच कोई दूसरा प्रिंसिपल कैसे कर सकता है। चलो ये बात भी हजम हो गई।लेकिन जांच अधिकारी ने जो जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौपा।उसमें बच्चो के लगाए गए । आरोपी सही साबित हुए थे बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी ने पाली स्थित उच्चतर माध्यमिक स्कूल के प्रिंसिपल को निर्दोष बताते हए। उनको यथावत स्थान पर बनाये रखा है। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी भी सामने आई है। कि जिला शिक्षा अधिकारी ने पाली प्रिंसिपल को यथावत बनाये रखने के लिए ऊची चढ़ोत्तरी ली है। ये बाते हम यू ही नही कह रहे है।बल्कि हमारे पास उन बच्चों के लिखित शिकायत की है। जिसमे उन्होंने ये साफ लिखा है।कि स्कूल के प्रिंसिपल ने उनसे माइग्रेशन व टी.सी. जैसे दस्तावेज के लिए 170 रुपये लिए है। साफ सफाई के लिए भी पैसे लिए है।उसके बाद भी स्कूली बच्चों को ही साफ सफाई का काम कराया जाता था।यहाँ तक कि स्कूल के बाथरूम की भी सफाई के लिए बच्चों पर ही दबाव बनाया गया । बाथरूम की सफाई नही किये जाने पर प्रेक्टिकल में फेल किये जाने की बात भी की गई।जिसके कारण बच्चो ने बाथरूम की भी सफाई की थी। जिसके कारण बच्चो ने बाथरूम की भी सफाई करने से परहेज नहि किया। पर जिला शिक्षा अधिकारी क्या वाकई में चंद रुपयों के लालच में बच्चो के लगाये इल्जाम को एक सिरे से खारिज कर दिया? क्या जांच अधिकारी के लिखित जांच रिपोर्ट दिए जाने के बाद भी उसकी रिपोर्ट को झुठला दिया गया..?अगर ये बाते सही है।तो वाकई में जिले में शिक्षा का स्तर सरकार के बताए नियमो के साथ चल रहा है।अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर चल रहा। कोरबा जिला अपना अलग इतिहास बनाने की कगार पर चल पड़ा है। अब देखना है कि कोरबा जिले की बागडौर को भलीभांति चलाने का जिम्मा लिए जिला कलेक्टर इस मामले में कोई कार्यवाही करती है।या फिर अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर ही जिले की बागडौर चलती रहेगी।