KNN24.COM/ नए किसान कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन का रविवार को 11वां दिन है। नई रणनीति को लेकर किसान संगठनों के बीच अहम बैठक चल रही है। इसमें आगे की योजनाओं पर चर्चा हो रही है। वहीं, पंजाबी सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ द्वारा किसानों को एक करोड़ रुपए की मदद करने की खबर सामने आई है। पंजाबी सिंगर सिंगा ने इस बात का खुलासा किया।

सिंगा ने सोशल मीडिया दिलजीत को सैल्यूट करते हुए कहा कि किसानों के गर्म कपड़ों के लिए दिलजीत ने एक करोड़ रुपए दिए हैं। आजकल तो लोग 10 रुपए दान देने के बाद भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगते हैं, लेकिन इतनी बड़ी मदद करने बाद भी मैंने इस बारे में अब तक कोई पोस्ट नहीं देखी।

प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद होगा फैसला
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के संदीप गिड्‌डे ने कहा, ‘शनिवार को किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में हमने चेतावनी दी कि अगर कानून वापस नहीं हुआ, तो किसान मीटिंग का बायकॉट कर देंगे। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल और राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करेंगे। इसके बाद उनकी अध्यक्षता में कैबिनेट इस बारे में फैसला करेगी।’

महाराष्ट्र से बैठक में शामिल होने आए गिड्‌डे के मुताबिक, मंत्रियों ने कहा कि 9 दिसंबर को होने वाली अगले दौर की बातचीत से पहले प्रधानमंत्री से चर्चा कर प्रस्ताव तैयार कर लिया जाएगा और मीटिंग में किसानों के साथ उसे शेयर किया जाएगा।

बैठक में तल्ख होते रहे किसान
दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई मीटिंग में 40 किसान नेता पहुंचे थे। बैठक के दौरान कई बार किसान तल्ख हो गए। जब चार घंटे की बैठक हो गई, तो आखिरी एक घंटे में किसानों ने मौन साध लिया। मुंह पर उंगली रखकर बैठ गए। उन्होंने सरकार से तीन सवाल पूछे और हां या ना में जवाब मांगा। कहा- सरकार बताए कि वह कृषि कानूनों को खत्म करेगी या नहीं? MSP को पूरे देश में जारी रखेगी या नहीं? और नए बिजली कानून को बदलेगी या नहीं?

किसानों का सरकार को अल्टीमेटम

  • बैठक के दौरान एक बार बात इतनी बिगड़ गई कि किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगें पूरी करे, नहीं तो हम मीटिंग छोड़कर चले जाएंगे।
  • किसानों ने सरकार से कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसानों को नहीं।
  • उन्होंने कहा कि हम पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। हमारे पास एक साल की व्यवस्था है। अगर सरकार यही चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं।
  • लंच ब्रेक में किसानों ने आज भी सरकारी खाना नहीं, बल्कि अपना लाया हुआ खाना ही खाया। वे पानी और चाय तक साथ लाए थे।