कोरबा स्थित बालको प्लांट से निकलने वाले प्रदूषण और केमिकल को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि उसके केमिकल से एक हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। वहीं 140 लोग अपंग हो गए। नियम के हिसाब से केमिकल का प्रॉपर डिस्पोजल नहीं किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने कोरबा कलेक्टर को जांच के आदेश दिए हैं।मामले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के दोनों नेताओं ने धरना दिया था और कुछ ही दिनों पहले जन सुनवाई हुई इसके बाद भी असर नहीं पड़ रहा है
दरअसल, बालको में पदस्थ रहे एसोसिएट मैनेजर उमेश कुमार सिंह और मेल नर्स युगल किशोर चंद्रा ने कंपनी से इस्तीफा देकर मुहिम छेड़ी है। दोनों ने अधिवक्ता पुनीत रूपारेल के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि बालको के द्वारा नियमों के हिसाब से केमिकल का निपटान नहीं करने से पर्यावरण और नदियां प्रदूषित हो रही हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मेल नर्स के पास केमिकल से प्रभावित लोग पहुंचे थे। उनका कष्ट देखकर दोनों ने बालको प्रबंधन से मामले की शिकायत कर कार्रवाई करने की बात कही। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर दोनों ने पद से इस्तीफा देकर कलेक्टर और सभी विभागों में शिकायत की, जिससे कार्रवाई हो और लोगों को बचा सकें।
याचिका में कहा गया है कि अब तक 140 लोग अपंग हो चुके हैं, क्योंकि बालको के फैक्ट्री में एल्युमीनियम बनाने के बाद साइनाइड, अमोनिया, सोडियम जैसे केमिकल निकलते हैं। इसे खुले में छोड़ने से देबू नाला, लालघाट से होकर माड़ नदी, केलो नदी, हसदेव और महानदी में मिल रहे हैं। केमिकल के सही निपटान नहीं होने से लोगों को यह प्रभावित कर रहा है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि आप इसकी शिकायत कहां की हैं। याचिकाकर्ताओं के तरफ से जानकारी देने के बाद मामले की गंभीरता को देख कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपना आवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही कलेक्टर को आदेश दिया है कि वे मामले की जांच करें। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की युगल खंडपीठ में हुई।
बालको प्रबंधन बोला- ऐसा कोई काम नहीं करते जो मानव अहित में हो
वहीं दूसरी ओर बालको प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि प्रक्रिया के किसी भी स्तर पर ऐसे किसी भी रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता जिससे अपंगता होती है। जो रसायन प्रयोग किए जाते हैं, उनका निपटारा पूर्ण वैज्ञानिक तरीके से प्राधिकारियों की देखरेख में किया जाता है। ऐसा कोई भी कार्य कंंपनी नहीं करती जो मानव के लिए अहितकारी हो।