जिला अस्पताल की व्यवस्था एक बार फिर से पुराने ढर्रे पर आ गई है। सुविधा के नाम पर केवल खिलवाड़ किया जा रहा है जिसे देखने वाला भी कोई नहीं है। अस्पताल में भर्ती मरीजों के भोजन पर डाका डाले जाने का मामला सामने आया है। ठेकेदार द्वारा मरीजों को पेट भर भोजन नहीं दिया जा रहा है जिससे मरीज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। अस्पताल में भर्ती मरीजों ने भोजन की गुणवत्ता पर सवाल तो खड़े किए ही है वहीं मात्रा को लेकर भी षिकायत की है। मरीजों के साथ ही उनके परिजनों ने भी षिकायत की है,कि उन्हें जो भोजन दिया जा रहा है उसे पेट भरना मुमकिन नहीं है। जिस तरह से मरीजों ने कम भोजन दिए जाने की षिकायत की है उससे तो यही लगता है,कि ठेकेदार मरीजों के भोजन में कटौती कर अपनी जेब भरना चाह रहा है।

एक मरीज ने तो भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा,कि ठेकेदार के रसोईये मनमाना खाना बना रहे है। भोजन में स्वाद नहीं रहता,सब्जियां ठीक से काटी नहीं जाती और तो और सब्जी दाल में पानी की मात्रा अधिक रहती है। ऐसे में मरीजों को खाने से कितना पोषण मिलता होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। नहीं अंडा और केला भी नियमित रुप से नहीं मिलता।

ठेकेदार अपनी मनमानी कर मरीजों के भोजन में कटौती कर रहे है। कोरोना काल होने के कारण प्रषासन के अधिकारी भी अस्पताल में झांकने नहीं आते जिसका गलत फायदा ठेकेदार उठा रहे है। भोजन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने की जरुरत है ताकी व्यवस्था सुधर सके।