जिस बाबा के सत्संग में 122 मौत, वो कौन हैं?:सफेद सूट इनकी पहचान, खुद की प्राइवेट आर्मी; यूपी पुलिस की नौकरी छोड़ बाबा बने

भोले बाबा हर समागम में अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते नजर आते हैं।यूपी के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई। इसमें महिलाएं और बच्चे फंस गए। भीड़ ने उन्हें कुचल दिया। अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हैं।

इस हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर भोले बाबा कौन है…? भोले बाबा का असली नाम नारायण हरि और वह एटा के रहने वाले हैं। उनका कनेक्शन सियासत से भी है। कुछ मौकों पर यूपी के कई बड़े नेताओं को उनके मंच पर देखा गया। इसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है।

पढ़िए नारायण हरि के भोले बाबा बनने तक की पूरी कहानी…

भोले बाबा हर समागम में अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते नजर आते हैं।
भोले बाबा हर समागम में अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते नजर आते हैं।

एटा में जन्म हुआ, दान-दक्षिणा नहीं लेते
भोले बाबा एटा जिले के बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई एटा जिले में हुई। वह कांशीराम नगर में पटियाली गांव के रहने वाले हैं। बचपन में पिता के साथ खेती-किसानी करते थे। जवान हुए तो पुलिस में भर्ती हो गए। उनकी पोस्टिंग यूपी के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही। 18 साल की नौकरी के बाद उन्होंने 90 के दशक में VRS ले लिया। अब अपने गांव में झोपड़ी बनाकर रहते हैं।

अध्यात्म की तरफ जाने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर साकार विश्वहरि रख लिया। उनकी पत्नी भी समागम में साथ रहती हैं। वह किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनते। वह अपने सत्संग में सफेद सूट और सफेद जूते में नजर आते हैं। कई बार कुर्ता-पैजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने पहुंचते हैं।

ये फोटो भोले बाबा और उनकी पत्नी की है।
ये फोटो भोले बाबा और उनकी पत्नी की है।

दावा- नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से हुआ साक्षात्कार
भोले बाबा यूपी के अलावा आसपास के राज्यों में लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। अक्सर अपने समागम में कहते हैं- उन्हें नहीं मालूम कि सरकारी नौकरी से अध्यात्म की ओर खींचकर कौन लाया? नौकरी से VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया।

वह कहते हैं- मैं खुद कहीं नहीं जाता, बल्कि भक्त मुझे बुलाते हैं। भक्तों की फरियाद पर अलग-अलग स्थानों पर घूमकर समागम करते रहते हैं। इस समय उनके कई IAS-IPS अफसर चेले हैं। अक्सर उनके समागम में राजनेता और अफसर पहुंचते हैं। शादियां भी कराई जाती हैं।

ये स्क्रीन शॉट अखिलेश यादव के X अकाउंट का है। 2023 में वह भोले बाबा के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।