केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लागू किए जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि व्यापारियों को राहत मिलेगी, लेकिन लगता है कि व्यापारियों की समस्या में कोई कमी नहीं आने वाली है। यह समस्या एक अक्टूबर 2020 से लागू हो रहे इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 206C (1H) को लेकर है, जिसके लिए व्यापारियों को अलग से हिसाब-किताब करना होगा।
जानकारों के अनुसार, इनकम टैक्स के सेक्शन 206C (1H) के कम्पलायंस के लिए एक विक्रेता होने के नाते, जो किसी भी सामान की बिक्री के बदले पचास लाख रुपये (GST सम्मिलित करके) से अधिक की राशि, एक ही व्यक्ति से एक साल मे प्राप्त करता है तो उसे उस बिक्री राशि के ऊपर 0.10 % (प्रतिशत) से TCS जोड़ कर लेना है। यही नहीं COVID-19 की परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार के द्वारा उपरोक्त TCS रेट में 25% की छूट दी गई है। इस लिहाज से इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक 0.075% से TCS लिया जा सकता है।
यह नियम केवल उन्हें व्यक्तियों को लागू होगा जिनका टर्नओवर पिछले साल (F.Y. 2019–2020) में 10 करोड़ रुपए (GST सम्मलित करके) से अधिक था। TCS 50.00 लाख से ऊपर के sales collection पर ही कलेक्ट करना है। इस लिहाज से किसी व्यक्ति को 1 अक्टूबर 2020 से पहले ही 50.00 लाख से अधिक की बिक्री की जा चुकी है, और उससे 50.00 लाख से अधिक का पेमेंट भी आ चुका है, तो 1 अक्टूबर से सभी पेमेंट (Sales Realization) पर TCS कलेक्ट करना है।
CA आशीष लोहिया बताते हैं कि मान लिजिए 30 सितंबर 2020 तक 70.00 लाख रुपए की बिक्री हुई थी और इस अवधि में अगर 55.00 लाख का पेमेंट हुआ है तो शेष 15.00 लाख रुपए पर अलग से TCS लेना होगा। इसी तरह पूरे बिल राशि पर TCS (जीएसटी सम्मिलित करने के बाद) लगेगा, मान लिजिए सामान की कीमत 1.00 लाख रुपए है तो 12 प्रतिशत GST और 0.10 प्रतिशत TCS जोड़कर कुल 1,12,112 रुपए लेना होगा।