knn24.com/नगर निगम कोरबा इन सड़कों पर प्रतिवर्ष इसी तरह करोड़ों रूपये व्यय करता है। लेकिन चंद दिनों में ही ये सड़कें उखड़ जाती हैं। पिछले वर्ष भी बड़ी राशि खर्च कर इन्हीं सड़कों का नवीनीकरण कराया गया था, जो पहली बारिश में ही धूल गयी थी और जगह-जगह गड्ढे पड़ गये थे। प्रतिवर्ष सड़क टूट जाने कारण घटिया निर्माण माना जाता है। किसी प्रलोभन, प्रभाव अथवा दबाव में निगम अमला गुणवत्ता की अनदेखी करता है, ऐसा भी माना जाता है। यही वजह है कि निगम आयुक्त एस.जयवर्धन के सामने कार्य की गुणवत्ता बनाये रखना बड़ी चुनौती है। इसके लिए निगम के स्थान पर किसी बाहरी तकनीकी अमला से कार्य लेना कारगार साबित हो सकता है।
यहां उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ का पहला डामर घोटाला नगर निगम कोरबा में ही सामने आया था। सन् 1996-97 में साडा कोरबा में डामर घोटाला उजागर हुआ था। उस समय राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल साडा क ोरबा के अध्यक्ष थे। बाद में छत्तीसगढ़ में डामर घोटाले की झड़ी लग गयी थी। हालांकि ऐसे मामलों में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बहरहाल नगर निगम कोरबा के आयुक्त इस घोटाला संस्कृति से कैसे निपटते हैं, यह देखना होगा।
नगर निगम कोरबा में पिछले छः वर्षों में सबसे अधिक राशि डामरीकरण कार्यों में की गयी है। इस वर्ष भी और सभी कार्य तो ठप्प हैं, लेकिन डामर का कार्य शुरू हो गया है। नगर निगम का डामर प्रेम पृथक से शोध का विषय है। बहरहाल 04 करोड़ 67 लाख रूपयों की लागत से सी.एस.ई.बी.चौक से सुनालिया पुल तक 01 करोड़ 24 लाख 99 हजार रूपये की लागत से बी.टी.सड़क नवीनीकरण कार्य, महाराणा प्रताप चौक से गुरू घासीदास चौक तक 01 करोड़ 29 लाख 57 हजार रूपये की लागत से बी.टी.सड़क नवीनीकरण कार्य, आई.टी.आई.चौक से सी.एस.ई.बी. चौक तक 01 करोड़ 08 लाख 68 हजार रूपये की लागत से बी.टी.सड़क नवीनीकरण कार्य तथा घंटाघर चौक से शास्त्री चौक तक 01 करोड़ 03 लाख 78 हजार रूपये की लागत से बी.टी.सड़क नवीनीकरण का कार्य किया जाना हैं।