बड़ेराजपुर तहसील के मारंगपुरी निवासी किसान धनीराम (40) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह करीब 100 क्विंटल धान बेचने की तैयारी में था, पर सरकारी रिकॉर्ड में जमीन का रकबा एकदम से घट जाने से केवल 11 क्विंटल धान बेचने का ही टोकन कटा। उस पर कोऑपरेटिव बैंक का 61932 रुपए कर्ज भी था। ग्रामीण किसान की आत्महत्या के पीछे बैंक के कर्ज का दबाव और मात्र 11 क्विंटल धान बेचने के टोकन को मुख्य कारण बता रहे हैं।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के विपणन अधिकारी आरबी सिंह ने तकनीकी गड़बड़ी की जांच कराने की बात कही है। सॉफ्टवेयर और गिरदावरी में गड़बड़ी के चलते जमीन का रकबा घट जाने से जिले में और भी कई मामले सामने आ रहे हैं। धनीराम की पत्नी सुमित्रा ने बताया कि उनका 6.70 एकड़ का भूमि स्वामित्व पट्टा है। इस हिसाब से करीब 100 क्विंटल धान बेचने की तैयारी थी। वह कई जगह से उधार ले रखे थे। व्यापारियों के पास भी खाद बीज का कर्ज था, जिससे जिससे उनके पति काफी परेशान थे। अपने रिश्तेदार प्रेमलाल नेताम को टोकन कटाने में भेजा था तब पता चला कि 11 क्विंटल धान ही बेच सकेंगे। इसके चलते वह मानसिक तनाव में आ गया व कर्ज के बोझ से इतना विचलित हो गया कि दूसरे दिन खेत जाने के की बात करते घर से निकल खेत के बगल में ही पेड़ पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली।

पटवारी निलंबित, तहसीलदार को नोटिस
तहसीलदार के प्रतिवेदन के मुताबिक धनीराम ने 2.713 हेक्टेयर भूमि पर धान बोया था, लेकिन त्रुटिवश 0.320 हेक्टेयर में धान की प्रविष्ठि हो गई थी। इसके लिए पटवारी को निलंबित कर दिया गया है, साथ ही तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

नशे में रहता था किसान
“अनुविभागीय अधिकारी ने जांच में बताया कि धनीराम अपने बेटे की 4 साल पहले हुई मौत के कारण डिप्रेशन में था। वह नशे में रहता था।”