कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड की मानिकपुर खदान के समीप नीलगिरी के वृक्षों की अवैध कटाई का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। इस प्रकरण में एक कथित पत्रकार और क्षेत्र के रेंजर की संदिग्ध भूमिका ने सवाल खड़े कर दिए हैं। रेंजर मृत्युंजय शर्मा का यह दावा कि उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं है, संदेह को और गहरा कर रहा है।
डंप एरिया में बेधड़क कटे नीलगिरी के पेड़
पिछले सप्ताह मानिकपुर खदान के डंप एरिया में नीलगिरी के वृक्षों की अवैध कटाई का मामला उजागर हुआ। इस राजफाश में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। सूचना पर वन विभाग की टीम ने मौके का दौरा किया। वन कर्मियों ने वहां पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन किया और बताया कि यह जांच अधिकारियों के निर्देश पर की जा रही है।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस अवैध कटाई की घटना को प्रमुखता से उठाया। शुक्रवार को जब मीडिया कर्मियों ने डीएफओ ऑफिस में रेंजर मृत्युंजय शर्मा से मामले की प्रगति पर सवाल किया, तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता। उनकी घबराहट और मामले से बचने की कोशिशों ने उनकी भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए।
रफा-दफा के प्रयासों का आरोप
स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का कहना है कि रेंजर की भूमिका जांच के दायरे में आनी चाहिए। उनकी अनदेखी और ‘कुछ न जानने’ की नौटंकी यह साबित करती है कि इस मामले को दबाने की कोशिशें जारी हैं।