Knn24.com/नई दिल्ली। देश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बड़ी और अच्छी खबर है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अब एक कर्मचारी या एक पेंशनभोगी को नेटवर्क अस्पताल से बाहर इलाज करवाने में मेडिक्लेम दिया जाएगा। इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी को मेडिक्लेम का लाभ देने से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता हैए क्योंकि उसने आपातकाल के दौरान इलाज के लिए एक निजी अस्पताल को चुना था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी केंद्र सरकार के कर्मचारी को सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के बाद रिम्बर्समेंट से केवल इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योकि उसने CGHS लिस्ट में शामिल अस्पताल से इलाज नहीं करवाया है।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह सत्यापित करना चाहिए कि कर्मचारी या पेंशनर द्वारा किया जा रहा दावा प्रमाणित डॉक्टर या अस्पताल के रिकॉर्ड में है या नहीं। सरकार यह भी सत्यापित कर सकती है कि संबंधित कर्मचारी या पेंशनर ने वास्तव में इलाज करवाया है या नहीं। इन तथ्यों के आधार पर एक कर्मचारी या पेंशनभोगी को मेडिक्लेम देने से इनकार किया जा सकता है। जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा, “राइट टू मेडिकल क्लेम को केवल इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि अस्पताल का नाम सरकारी आदेश में शामिल नहीं है।