Knn24.com/दुनिया में सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं झेलने के मामले में अमेरिका और चीन के बाद हम तीसरे नंबर पर हैं। 2000 से 2019 तक 19 सालों में भारत में 321 प्राकृतिक आपदाएं आईं, जिनमें 79 हजार 732 लोगों की जान चली गईं। इतना ही नहीं, इन आपदाओं ने देश में 108 करोड़ से ज्यादा लोगों पर किसी न किसी तरह से प्रभावित भी किया।
UN ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन की रिपोर्ट बताती है कि 2000 से लेकर 2019 के बीच दुनियाभर में 7,348 प्राकृतिक आपदाएं आईं, जिसमें 12 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इन आपदाओं की वजह से 200 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है।
इसी दौरान चीन में सबसे ज्यादा 577 आपदाएं आईं, जिसमें 1.13 लाख जानें गईं और 173 करोड़ लोग प्रभावित हुए। दूसरे नंबर पर अमेरिका रहा, जहां 467 आपदाओं की वजह से 11 करोड़ लोगों पर असर पड़ा। हालांकि, आपदाओं से अमेरिका में कितनी मौतें हुईं, इसकी जानकारी रिपोर्ट में नहीं है।
इन प्राकृतिक आपदाओं की बात इसलिए क्योंकि रविवार की सुबह उत्तराखंड के लिए 7 साल बाद फिर तबाही लेकर आई थी। इसकी तुलना 2013 में आई त्रासदी से भी हो रही है। उस समय उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से 6 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थीं। हालांकि, सरकारी आंकड़ों में मौतों का आंकड़ा सिर्फ 100 है।
16 साल पहले आई सूनामी 21वीं सदी के सबसे जानलेवा आपदा
26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई सूनामी लहर ने भारत समेत दुनिया के कई देशों में भारी तबाही मचाई थी। ये सूनामी 21वीं सदी के सबसे जानलेवा प्राकृतिक आपदा थी, जिसमें 2.26 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। अकेले भारत में ही इससे 12,405 लोगों की जान गई थी। 3,874 लोग लापता हो गए थे।
हिंद महासागर में आए 9.1 तीव्रता वाले भूकंप के बाद आई सूनामी से समंदर में 65 फीट ऊंची लहरें उठी थीं। सूनामी से सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया में हुआ था, जहां 1.28 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। उसके बाद श्रीलंका था, जहां 23,231 लोगों की जान गई थी। तीसरे नंबर पर भारत था।
सूनामी के बाद सबसे ज्यादा जानें 2010 में हैती में आए भूकंप में गई थीं। इस भूकंप में 2.22 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 7 आंकी गई थी। तीसरी सबसे जानलेवा आपदा 2008 में म्यांमार में आई। उस समय यहां नरगिस तूफान आया था, जिसमें 1.38 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।